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सफाई कर्मी को सुपरवाइजर ने सुनाई जाति सूचक गालि‍यां

 
कानपुर (सूरज कश्यप). थाना स्वरुप नगर क्षेत्र के एक प्रसिद्ध प्राइवेट हॉस्पिटल में आए दिन सफाई कर्मियों का उत्पीड़न हो रहा है। सफाई कर्मियों का आरोप है कि उनको बात बात पर बुरी तरह मारा पीटा जाता है और जब वो इसका विरोध करते है तो उनकी जाति‍ को लेकर गालियां बकी जाती हैं। ज्‍यादा विरोध करने पर उनको नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है ।
 
आपको बताते चलें थाना स्वरूप नगर क्षेत्र स्थित एक हॉस्पिटल के सफाई कर्मियों का कहना है कि उनका सुपरवाइजर अमरेंद्र सिंह आए दिन किसी न किसी सफाई कर्मचारी को मारता पीटता रहता है । जब सफाई कर्मी उसका विरोध करते हैं तो उन कर्मचारियों को अमरेंद्र सिंह अपनी हनक दिखाकर जाति सूचक गालियां बकता है और नौकरी से भी निकलवा देता है। ऐसा ही एक कारनामा अमरेंद्र सिंह के द्वारा शनिवार को भी किया गया, जिसमें अमरेंद्र सिंह ने मधुराज हॉस्पिटल में पिछले करीब सात वर्षों से कार्य करने वाले सफाई कर्मचारी नटियल के साथ मारपीट कर दी । जब सफाई कर्मचारी ने सुपरवाइजर का विरोध किया तो उसने कर्मचारी की जाति को लेकर गालियां बकनी चालू कर दीं और अगले दिन से काम से निकाल देने की बात कह कर जोरदार थप्पड़ उसके कान पर जड़ दिया, जिससे कर्मचारी के कान में चोट आ गई और उसको कम सुनाई देने लगा। 

घटना की सूचना सफाई कर्मी द्वारा 112 डायल करके दी गई, तो मौके पर आई पुलिस उल्टा कर्मचारी को ही थाने ले गई। हालांकि घटना की जानकारी मिलते ही स्वरूप नगर थाना प्रभारी अश्वनी कुमार पांडे द्वारा घटना को संज्ञान में लेकर पीड़ित कर्मचारी की बात सुनकर उचित कार्रवाई का आश्वासन देते हुए पीड़ित पक्ष को छोड़ दिया गया। पर दो दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक ना ही पीड़ित से कोई लिखित तहरीर ली गई और ना ही आरोपी सुपरवाइजर अमरेंद्र सिंह पर कोई कार्रवाई की गई है। अस्पताल के अन्य कर्मचारियों की मानें तो अमरेंद्र सिंह का भाई पुलिस विभाग में है और वो कानपुर में ही किसी थाने में तैनात है जिसकी हनक के चलते अमरेंद्र इन गरीब कर्मचारियों पर अपना रौब झाड़ता है और आए दिन किसी न किसी को इसी तरह मारता पीटता रहता है और उस पर कोई भी कार्यवाही नहीं होती है। 

कर्मचारियों की माने तो अमरेंद्र सिंह पहले भी रिंकू, आनंद, सुशील, वीरू इन सभी सफाई कर्मियों के साथ मारपीट व जातिसूचक गालियों का प्रयोग कर चुका है। इसके बाद एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर इतना कुछ होने के बाद अस्पताल प्रशासन क्या कर रहा है और उस सुपरवाइजर पर आखिर पुलिस विभाग या अस्पताल के मैनेजमेंट के द्वारा कोई भी उचित कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही ।

दलित वर्ग के लोगों के साथ ऐसा उत्पीड़न होता देख कर अब इस वर्ग के लोग सक्रिय हो गए हैं और शनिवार की घटना को संज्ञान में लेकर उच्च अधिकारियों से उचित कार्रवाई की मांग करने लगे हैं। उनका कहना है कि अगर जिले के आला अधिकारी मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं तो समस्त दलित वर्ग के लोग एकत्रित होकर सड़कों पर आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे.

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